शंकरपुर स्थित गौशाला की बदहाली पर जमकर बरसे जन प्रतिनिधि, गौशाला संचालक पर लगाया लापरवाही का आरोप

सहसपुर (बिलाल अन्सारी)-
तहसील विकासनगर के सहसपुर क्षेत्रान्तर्गत शंकरपुर गौशाला में गोवंश की बदहाल व्यवस्था पर खुशहालपुर जिला पंचायत सदस्य राशिद पहलवान, शंकरपुर ग्राम प्रधान मोहम्मद शहजाद, बीडीसी सदस्य अल्लाह रक्खा, समाजसेवी राजू तोमर आदि ने गौशाला पहुंचकर गोवंश की दयनीय स्थिति पर नाराजगी जताई। रामपुर बीडीसी सदस्य अल्लाह रखा ने कहा कि गौशाला संचालक द्वारा सरकारी पैसे का खुल्लम खुला दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दोपहर 1:00 बजे तक किसी भी गोवंश को एक दाना भी चारे का नहीं डाला गया। गोवंश भूख से बेहाल होकर दम तोड़ रहे हैं। बीमार पशुओं के इलाज की भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। मृत गोवंश को गौशाला से नहीं हटाया जा रहा है, जिससे शंकरपुर के निवासियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है और गंभीर बीमारियों का खतरा पैदा हो रहा है।

आपको बता दें कि लगभग 5 दिन पूर्व मृत गोवंश के अवशेष ले जा रही गाड़ी में कथित गौरक्षको द्वारा तोड़फोड़ करने के बाद आग लगा दी गई थी, जिससे सेलाकुई में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। जबकि मृत पशु उठाने वाले ठेकेदार हसीन अहमद के पास आवश्यक रूप से सभी दस्तावेज़ मौजूद थे, फिर भी उनके साथ मारपीट की गई और उनकी मृत गोवंश के अवशेष से लदी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया था।
सवाल यह उठता है कि गोवंश के नाम पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वाले कथित गौरक्षक इन गौशालाओं पर लगाम लगाने में क्यों नाकाम साबित हो रहे हैं? क्या जिंदा गौवंश की रक्षा करना मृत अवशेषों की रक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है या वजह कुछ और है ?

फाइल फोटो

हमारे देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। गौशालाओं का वित्त पोषण जनता, धार्मिक संस्थाओं और सरकार द्वारा किया जाता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि जब तक गाय दूध देती है तब तक उनका इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद अक्सर सड़कों पर बेसरा छोड़ दिया जाता है। फिर वे कचरे के ढेर पर प्लास्टिक, कचरा और गली-सड़ी वस्तुओ का सेवन करती हुई अक्सर देखी जा सकती हैं। हालांकि गोवंश को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने से गोवंश और मानव दोनों के जीवन को खतरा होता है। जिसमें दुर्घटना होने के कारण पशुओं व आम जनमानस दोनो को अपनी जान तक देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। गौ हत्या पर प्रतिबंध के कारण हर साल इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गोवंश की इस दुर्दशा का मुख्य कारण तलाशने की आवश्यकता है इस पर सभी को मिलकर काम करना चाहिए।