देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आज मूल निवास कानून लागू करने और इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित किए जाने एवं उत्तराखंड में सशक्त भू कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर देहरादून में ‘उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महा रैली का आयोजन किया गया। तमाम सामाजिक संगठनों, राजनीतिक संगठनों एवं बड़ी संख्या में पहुंचे युवाओं ने परेड मैदान में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों की भीड़ इकट्ठा होकर रैली की शक्ल में कान्वेंट स्कूल से होते हुए एसबीआई चौक, बुद्धा चौक, दून अस्पताल से तहसील चौक होते हुए कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंची। इसके बाद यहां पर एक सभा का आयोजन किया गया।

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित भंडारी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। सरकार की ओर से विभिन्न माध्यमों से संघर्ष समिति से जुड़े सदस्यों से संपर्क करके रैली स्थगित करने का भी अनुरोध किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि हम सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करते हैं। लेकिन यह जन आंदोलन है। जिसका नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है, इसलिए जो भी फैसला होगा वह आम जनता के बीच से ही निकलेगा।

संघर्ष समिति की मुख्य मांगों में प्रदेश में ठोस भू कानून लागू होना, शहरी क्षेत्र में ढाई सौ मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू होना, ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, गैर कृषक की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगाना, पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों की भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगाना, राज्य गठन के बाद से आज तक सरकार की ओर से विभिन्न संस्थाओं आदि को लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाना, उत्तराखंड में विशेष पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले कारखाने एंव परियोजनाओं में स्थानीय निवासियों का 25% और जिले के मूल निवासियों का 25% हिस्सा सुनिश्चित किया जाना भी शामिल है।